मोहला। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव 2025 के अवसर पर मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी की महिलाओं ने यह साबित कर दिया कि यदि ग्रामीण प्रतिभा को सही दिशा, मार्गदर्शन और मंच मिले, तो वे किसी भी अवसर को आजीविका का माध्यम बनाकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा सकती हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत चलने वाली बिहान योजना से जुड़ी महिला स्व-सहायता समूहों ने दीपावली जैसे पारंपरिक पर्व को आर्थिक अवसर में बदलते हुए एक प्रेरणादायक पहल की।
ग्राम केवट टोला, मोहला और भोजटोला की निवासी महिलाओं ने सामूहिक प्रयासों के साथ अपने पारंपरिक ज्ञान और रचनात्मकता का उपयोग करते हुए दीपावली के उपयोगी उत्पाद जैसे रंगोली पाउडर, रुई की बाती, लक्ष्मी माता की मिट्टी से बनी मूर्तियाँ, अगरबत्ती, मिट्टी के दीये और मटके साथ ही पारंपरिक साड़ियाँ और मनिहारी सामग्री जैसे उत्पाद अपने ही हाथों से तैयार किए। महिलाओं ने इन उत्पादों की गुणवत्ता और पारंपरिकता पर विशेष ध्यान दिया, ताकि बाजार में उन्हें अच्छी मांग मिल सके।
त्यौहार के पहले ही सप्ताह से इन महिलाओं ने मोहला के साप्ताहिक बाजार में दुकानें लगाई, जहाँ उन्होंने अपने उत्पादों को उचित मूल्य पर बेचा। ग्राहकों ने इन हस्तनिर्मित वस्तुओं की खूब सराहना की जिससे महिलाओं का मनोबल और भी बढ़ा। बिक्री से प्राप्त आय ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सहयोग तो दिया ही, साथ ही उन्हें यह एहसास भी दिलाया कि वे अपने श्रम और हुनर से आत्मनिर्भर बन सकती हैं।
इस पहल से जुड़ी कई महिलाओं ने पहली बार घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर व्यापार किया। कई महिलाओं ने बताया कि पहले उन्हें यह विश्वास नहीं था कि वे खुद से कुछ बना और बेच सकती हैं लेकिन बिहान समूह से जुड़ने के बाद उन्हें प्रशिक्षण, सहयोग और एकजुटता मिली, जिससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा। यह न केवल आजीविका का एक माध्यम बना, बल्कि सामाजिक पहचान और सशक्तिकरण का जरिया भी।
बिहान योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। और यह सफलता उसकी एक सजीव मिसाल है। इस प्रकार की पहल ग्रामीण क्षेत्रों में महिला उद्यमिता, स्वावलंबन और सामुदायिक विकास को नई दिशा देती है। दीपावली पर शुरू हुई यह आर्थिक यात्रा सिर्फ एक पर्व तक सीमित नहीं रही, बल्कि महिलाओं के जीवन में एक स्थायी परिवर्तन की शुरुआत बन गई।